Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c6dfa8560eb7cc1e8eb75dabb1012034, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
भूले हुए हैं सब कि है कार-ए-जहाँ बहुत - अासिफ़ जमाल कविता - Darsaal

भूले हुए हैं सब कि है कार-ए-जहाँ बहुत

भूले हुए हैं सब कि है कार-ए-जहाँ बहुत

लेकिन वो एक याद है दिल पर गराँ बहुत

कुछ रफ़्तगाँ के ग़म ने भी रक्खा हमें निढाल

कुछ सदमा-हा-ए-नौ से रहे नीम-जाँ बहुत

हम को न ज़ुल्फ़-ए-यार न दीवार से ग़रज़

हम को तो याद-ए-यार की परछाइयाँ बहुत

वो सर्द-मेहरियाँ कि हमें राख कर गईं

सुनते हैं पहले हम भी थे आतिश-बजाँ बहुत

इक मौज-ए-फ़ित्ना-सर कि रवाँ हर नफ़स में है

हर दम यक़ीं से पहले उठे हैं गुमाँ बहुत

अब के जुनूँ में मौज-ए-सबा का भी हाथ है

मौज-ए-सबा कि अब के उठी सरगिराँ बहुत

अब ये ख़बर नहीं वो समुंदर है या सराब

अपने यहाँ है तिश्नगी-ए-जिस्म-ओ-जाँ बहुत

सहरा से वर्ना अपना इलाक़ा नहीं है कुछ

आशुफ़्तगी-ए-सर की हवा है यहाँ बहुत

(690) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bhule Hue Hain Sab Ki Hai Kar-e-jahan Bahut In Hindi By Famous Poet Asif Jamal. Bhule Hue Hain Sab Ki Hai Kar-e-jahan Bahut is written by Asif Jamal. Complete Poem Bhule Hue Hain Sab Ki Hai Kar-e-jahan Bahut in Hindi by Asif Jamal. Download free Bhule Hue Hain Sab Ki Hai Kar-e-jahan Bahut Poem for Youth in PDF. Bhule Hue Hain Sab Ki Hai Kar-e-jahan Bahut is a Poem on Inspiration for young students. Share Bhule Hue Hain Sab Ki Hai Kar-e-jahan Bahut with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.