Khawab Poetry of Asif Jamal
नाम | अासिफ़ जमाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Asif Jamal |
वो बे-हुनर हूँ कि है ज़िंदगी वबाल मुझे
सहरा से भी वीराँ मिरा घर है कि नहीं है
एक सर्द जंग है अब मोहब्बतें कहाँ
दिल है कि हमें फिर से उधर ले के चला है
आँख बे-ख़्वाब हुई है कैसी