Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_aab454b1dad0bec3f80714aba78c9f7e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आलम में अगर इश्क़ का बाज़ार न होता - अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ कविता - Darsaal

आलम में अगर इश्क़ का बाज़ार न होता

आलम में अगर इश्क़ का बाज़ार न होता

कोई किसी बंदे का ख़रीदार न होता

हस्ती की ख़राबी नज़र आती जो अदम में

उस ख़्वाब से हरगिज़ कोई बेदार न होता

कहता है तुझे ख़ाक न दूँ ग़ैर-ए-अज़ीयत

ये दिल में अगर थी तो मिरा यार न होता

मालूम किसे थी ये तिरी ख़ाना-ख़राबी

मैं जानता ऐसा तो गिरफ़्तार न होता

आलम को जलाती है तिरी गर्मी-ए-मजलिस

मरते हम अगर साया-ए-दीवार न होता

ऐ शैख़ अगर कुफ़्र से इस्लाम जुदा है

पस चाहिए तस्बीह में ज़ुन्नार न होता

ज़ालिम मिरे हासिद की तो शादी थी इसी में

यानी मुझे दर तक भी तिरे बार न होता

देते तिरी मज्लिस में अगर राह 'फ़ुग़ाँ' को

उस शख़्स से हरगिज़ कोई बे-ज़ार न होता

(833) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aalam Mein Agar Ishq Ka Bazar Na Hota In Hindi By Famous Poet Ashraf Ali Fughan. Aalam Mein Agar Ishq Ka Bazar Na Hota is written by Ashraf Ali Fughan. Complete Poem Aalam Mein Agar Ishq Ka Bazar Na Hota in Hindi by Ashraf Ali Fughan. Download free Aalam Mein Agar Ishq Ka Bazar Na Hota Poem for Youth in PDF. Aalam Mein Agar Ishq Ka Bazar Na Hota is a Poem on Inspiration for young students. Share Aalam Mein Agar Ishq Ka Bazar Na Hota with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.