पलकों पे इंतिज़ार का मौसम सजा लिया

पलकों पे इंतिज़ार का मौसम सजा लिया

उस से बिछड़ के रोग गले से लगा लिया

कोई तो ऐसी बात थी हम कुछ न कर सके

सारे जहाँ में ख़ुद को तमाशा बना लिया

अब ये किसे बताएँ हमें क्या ख़ुशी मिली

जिस दिन ज़रा सा बोझ किसी का उठा लिया

मैं उम्र भर न जाने भटकता कहाँ कहाँ

अच्छा हुआ जो आप ने अपना बना लिया

कितने सकूँ से काट दी पुरखों ने ज़िंदगी

जो मिल गया नसीब से चुप-चाप खा लिया

अहबाब को न दीजिए इल्ज़ाम दोस्तो

हम ने तो दुश्मनों को भी अपना बना लिया

गुज़रे हैं ज़िंदगी में बहुत तजरबात से

लेकिन 'अशोक' जीने का अंदाज़ पा लिया

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Palkon Pe Intizar Ka Mausam Saja Liya In Hindi By Famous Poet Ashok Sawhny. Palkon Pe Intizar Ka Mausam Saja Liya is written by Ashok Sawhny. Complete Poem Palkon Pe Intizar Ka Mausam Saja Liya in Hindi by Ashok Sawhny. Download free Palkon Pe Intizar Ka Mausam Saja Liya Poem for Youth in PDF. Palkon Pe Intizar Ka Mausam Saja Liya is a Poem on Inspiration for young students. Share Palkon Pe Intizar Ka Mausam Saja Liya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.