नेकी बदी की अब कोई मीज़ान ही नहीं

नेकी बदी की अब कोई मीज़ान ही नहीं

ईमाँ की बात ये है कि ईमान ही नहीं

इस दौर-ए-बे-ज़मीर पे क्या तब्सिरा करूँ

लगता है मेरे अहद में इंसान ही नहीं

कैसे रफ़ू करूँ मैं कहाँ से रफ़ू करूँ

दिल भी है मेरा चाक गरेबान ही नहीं

रूदाद-ए-दिल भी है ये ग़म-ए-काएनात भी

मेरी ग़ज़ल नशात का सामान ही नहीं

बरकत हमारे रिज़्क़ में आएगी किस तरह

घर में हमारे जब कोई मेहमान ही नहीं

लो वो अज़ाँ से सुब्ह की तस्दीक़ हो गई

गोया अब उस के आने का इम्कान ही नहीं

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Neki Badi Ki Ab Koi Mizan Hi Nahin In Hindi By Famous Poet Ashok Sawhny. Neki Badi Ki Ab Koi Mizan Hi Nahin is written by Ashok Sawhny. Complete Poem Neki Badi Ki Ab Koi Mizan Hi Nahin in Hindi by Ashok Sawhny. Download free Neki Badi Ki Ab Koi Mizan Hi Nahin Poem for Youth in PDF. Neki Badi Ki Ab Koi Mizan Hi Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Neki Badi Ki Ab Koi Mizan Hi Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.