कौन सितारे छू सकता है

जिन चीज़ों का सपना देखा

वो सब चीज़ें पाईं हैं

जग वालों ने मेहनत की है

सारी चीज़ जटाईं हैं

अब जब सब कुछ पास है मेरे

कोई भी रोमांस नहीं

इश्क़ के कोई मज़े नहीं हैं

टीस नहीं है फाँस नहीं

सपनों की धरती उपजाऊ

सपनों से सपने उगते हैं

सपने किस माहौल में जाने

आते सोते जागते हैं

एक सवाल जो बे-मअ'नी है

क्या पाया है क्या खोया है

ग़ुर्बत या कि अमीरी का हो

पैमाना कोई पुख़्ता है

अख़्तर-उल-ईमान ने भाई

बड़े पते की बात कही है

''कौन सितारे छू सकता है

राह में साँस उखड़ जाती है''

(1023) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kaun Sitare Chhu Sakta Hai In Hindi By Famous Poet Ashok Lal. Kaun Sitare Chhu Sakta Hai is written by Ashok Lal. Complete Poem Kaun Sitare Chhu Sakta Hai in Hindi by Ashok Lal. Download free Kaun Sitare Chhu Sakta Hai Poem for Youth in PDF. Kaun Sitare Chhu Sakta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Kaun Sitare Chhu Sakta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.