कश्मकश में हैं तिरी ज़ुल्फ़ों के ज़िंदानी हनूज़

कश्मकश में हैं तिरी ज़ुल्फ़ों के ज़िंदानी हनूज़

तीरगी पैहम है ख़म-दर-ख़म परेशानी हनूज़

रखते हैं हम मक़सद-ए-तामीर-ए-नौ पेश-ए-नज़र

गरचे हैं मिन-जुमला-ए-असबाब-ए-वीरानी हनूज़

सत्ह-ए-दरिया पर सुकूँ सा है मगर ऐ सत्‌ह-बीं

क़अ'र-ओ-दरिया में वही मौजें हैं तूफ़ानी हनूज़

अब जुनूँ में भी नहीं आता है सहरा का ख़याल

शहर-ए-हिकमत में है वहशत-ख़ेज़ वीरानी हनूज़

पुर्सिश-ए-अहल-ए-क़लम हो या न हो होती तो है

संग-ए-मरमर के मज़ारों पर गुल-अफ़्शानी हनूज़

हम ने रख दी क़ालिब-ए-अशआ'र में चीज़-ए-दिगर

तुम नहीं कर पाए तकमील-ए-ज़बाँ-दानी हनूज़

'अश्क' उसूल-ए-कस्ब-ए-ज़र से तू नहीं है आश्ना

तिश्ना-ए-तकमील है तेरी हमा-दानी हनूज़

(977) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kashmakash Mein Hain Teri Zulfon Ke Zindani Hanuz In Hindi By Famous Poet Ashk Amritsari. Kashmakash Mein Hain Teri Zulfon Ke Zindani Hanuz is written by Ashk Amritsari. Complete Poem Kashmakash Mein Hain Teri Zulfon Ke Zindani Hanuz in Hindi by Ashk Amritsari. Download free Kashmakash Mein Hain Teri Zulfon Ke Zindani Hanuz Poem for Youth in PDF. Kashmakash Mein Hain Teri Zulfon Ke Zindani Hanuz is a Poem on Inspiration for young students. Share Kashmakash Mein Hain Teri Zulfon Ke Zindani Hanuz with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.