अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन
नाम | अशहद बिलाल इब्न-ए-चमन |
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अंग्रेज़ी नाम | Ashhad Bilal Ibn-e-chaman |
जन्म की तारीख | 1980 |
ज़िंदगी की हक़ीक़त अजब हो गई
याद रखना भी इक इबादत है
तमाम दिन की मशक़्क़त-भरी तकान के ब'अद
सवेरा ले के आता है मिरे ख़्वाबों की ताबीरें
होश-ओ-हवास खोने लगा हूँ फ़िराक़ में
इक लफ़्ज़ याद था मुझे तर्क-ए-वफ़ा मगर
आओ तो मेरे सहन में हो जाए रौशनी
आज भी नक़्श हैं दिल पर तिरी आहट के निशाँ
ज़ख़्म-ए-फ़ुर्क़त को तिरी याद ने भरने न दिया
वो मेरा है तो कभी भी न आज़माऊँ उसे
तीर-ए-नज़र ने आप की घाएल किया मुझे
सोचते हैं कि बुलबुला हो जाएँ
हम ने देखा है इतने खंडर ख़्वाब में
हीला है हवाला है
घटा जब रक़्स करती है तो उन की याद आती है
दिल मानता नहीं है मनाने के बअ'द भी
आ जाओ अब तो ज़ुल्फ़ परेशाँ किए हुए