Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2af26b79b09453ddfd390963f15dbe95, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उठाओ संग कि हम में सनक बहुत है अभी - अशफ़ाक़ अंजुम कविता - Darsaal

उठाओ संग कि हम में सनक बहुत है अभी

उठाओ संग कि हम में सनक बहुत है अभी

हमारे गर्म लहू में नमक बहुत है अभी

उतर रही है अगर चाँदनी उतरने दे

महकती ज़ुल्फ़ में तेरी चमक बहुत है अभी

ये कल किसी नए मौसम की फ़स्ल काटेंगे

सरों में अहल-ए-जुनूँ के ठनक बहुत है अभी

उसे ख़बर नहीं सूरज भी डूब जाता है

हसीं लिबास पे नाज़ाँ धनक बहुत है अभी

हमारे पहले ही मौसम ने हम को तोड़ दिया

मगर तुम्हारे बदन में लचक बहुत है अभी

हवा-ए-वक़्त ने झोंकी है धूल आँखों में

हमारी आँख में लेकिन चमक बहुत है अभी

दिल अपना उन की हथेली पे रख भी दे 'अंजुम'

तिरे ख़ुलूस पे यारों को शक बहुत है अभी

(807) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

UThao Sang Ki Hum Mein Sanak Bahut Hai Abhi In Hindi By Famous Poet Ashfaque Anjum. UThao Sang Ki Hum Mein Sanak Bahut Hai Abhi is written by Ashfaque Anjum. Complete Poem UThao Sang Ki Hum Mein Sanak Bahut Hai Abhi in Hindi by Ashfaque Anjum. Download free UThao Sang Ki Hum Mein Sanak Bahut Hai Abhi Poem for Youth in PDF. UThao Sang Ki Hum Mein Sanak Bahut Hai Abhi is a Poem on Inspiration for young students. Share UThao Sang Ki Hum Mein Sanak Bahut Hai Abhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.