ज़मीं पर नीम-जाँ यारी पड़ी है

ज़मीं पर नीम-जाँ यारी पड़ी है

इधर ख़ंजर उधर आरी पड़ी है

मेरे ही सर पे हैं इल्ज़ाम सारे

बड़ी महँगी वफ़ा-दारी पड़ी है

अजब सा ख़ौफ़ फैला है वतन में

हवा के हाथ चिंगारी पड़ी है

बिछड़ कर हो गया बर्बाद वो भी

हमें भी चोट ये कारी पड़ी है

समुंदर से कोई रिश्ता है इस का

नदी किस वास्ते खारी पड़ी है

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Zamin Par Nim-jaan Yari PaDi Hai In Hindi By Famous Poet Ashfaq Rasheed Mansuri. Zamin Par Nim-jaan Yari PaDi Hai is written by Ashfaq Rasheed Mansuri. Complete Poem Zamin Par Nim-jaan Yari PaDi Hai in Hindi by Ashfaq Rasheed Mansuri. Download free Zamin Par Nim-jaan Yari PaDi Hai Poem for Youth in PDF. Zamin Par Nim-jaan Yari PaDi Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Zamin Par Nim-jaan Yari PaDi Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.