अशफ़ाक़ रशीद मंसूरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अशफ़ाक़ रशीद मंसूरी
नाम | अशफ़ाक़ रशीद मंसूरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ashfaq Rasheed Mansuri |
ज़मीं पर नीम-जाँ यारी पड़ी है
तिरी नज़र के इशारे बदल भी सकते हैं
मिरी ग़ज़ल गुनगुना रहा था
हैरत है वो ख़ून की बातें करते हैं
दुनिया को हादसों में गिरफ़्तार देखना
दिमाग़-ओ-दिल में हलचल हो रही है
अपनी ग़ज़लों को रिसालों से अलग रखता हूँ
अपने दिल में आग लगानी पड़ती है