वो फूल हो सितारा हो शबनम हो झील हो
तेरी किताब-ए-हुस्न के सब इक़्तिबास थे
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जा तुझे तेरे हवाले कर दिया
मैं सीखता रहा इक उम्र हाव-हू करना
ऐ जुनूँ उस की कहानी भी सुनाऊँगा तुझे
शाम होती है तो लगता है कोई रूठ गया
वो जिस में लौट के आती थी एक शहज़ादी
अजब तरह के कमाल करने भी आ गए हैं
याद रक्खेगा मिरा कौन फ़साना मिरे दोस्त
ये लोग ढूँड रहे हैं यहाँ वहाँ मुझ को
पीला था चाँद और शजर बे-लिबास थे
वो शख़्स जिस की ख़ुशी का बाइस थीं मेरी बातें
अगर ख़ुशी में तुझे गुनगुनाते लगते हैं
ताएरों की उड़ान में हम हैं