शाम होती है तो लगता है कोई रूठ गया
और शब उस को मनाने में गुज़र जाती है
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ताएरों की उड़ान में हम हैं
वो फूल हो सितारा हो शबनम हो झील हो
हम आइने में तिरा अक्स देखने के लिए
याद रक्खेगा मिरा कौन फ़साना मिरे दोस्त
रंज जो दीदा-ए-नमनाक में देखा गया है
पीला था चाँद और शजर बे-लिबास थे
शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती है
अजब तरह के कमाल करने भी आ गए हैं
अगर ख़ुशी में तुझे गुनगुनाते लगते हैं
हम फ़क़त तेरी गुफ़्तुगू में नहीं
हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है
जा तुझे तेरे हवाले कर दिया