हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है
हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है
कभी फ़ुर्सत में मुझे देखने आना मिरे दोस्त
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हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है
कभी फ़ुर्सत में मुझे देखने आना मिरे दोस्त
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