ऐ जुनूँ उस की कहानी भी सुनाऊँगा तुझे
ये जो पैवंद मिरे चाक में देखा गया है
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शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती है
जा तुझे तेरे हवाले कर दिया
वो फूल हो सितारा हो शबनम हो झील हो
पीला था चाँद और शजर बे-लिबास थे
हिज्र इंसाँ के ख़द-ओ-ख़ाल बदल देता है
वो शख़्स जिस की ख़ुशी का बाइस थीं मेरी बातें
ताएरों की उड़ान में हम हैं
अगर ख़ुशी में तुझे गुनगुनाते लगते हैं
याद रक्खेगा मिरा कौन फ़साना मिरे दोस्त
अजब तरह के कमाल करने भी आ गए हैं
हम आइने में तिरा अक्स देखने के लिए
अक्स को फूल बनाने में गुज़र जाती है