रंज जो दीदा-ए-नमनाक में देखा गया है

रंज जो दीदा-ए-नमनाक में देखा गया है

ये फ़क़त सीना-ए-सद-चाक में देखा गया है

इस से आगे है मियाँ मुंतज़िरों की बस्ती

इक दिया जलता हुआ ताक़ में देखा गया है

ऐ जुनूँ उस की कहानी भी सुनाऊँगा तुझे

ये जो पैवंद मिरे चाक में देखा गया है

यानी इक आँख अभी ढूँढती फिरती है मुझे

यानी इक तीर मिरी ताक में देखा गया है

एक ख़्वाहिश का मिरे दिल में उतरना 'अश्फ़ाक़'

इक शरारा ख़स-ओ-ख़ाशाक में देखा गया है

हिज्र और दश्त में जो शख़्स भी ठहरा 'अश्फ़ाक़'

तजरबा उड़ती हुई ख़ाक में देखा गया है

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