Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7edf36382096be3388e5d9cd45fa936a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लगा हो दिल तो ख़यालात कब बदलते हैं - अशफ़ाक़ आमिर कविता - Darsaal

लगा हो दिल तो ख़यालात कब बदलते हैं

लगा हो दिल तो ख़यालात कब बदलते हैं

ये इंक़लाब तो इक बे-दिली में पलते हैं

निकल चुके हैं बहुत दूर क़ाफ़िले वाले

हमें ख़बर नहीं हम किस के साथ चलते हैं

कभी हमें भी मिलाओ तो ऐसे लोगों से

कि जिन की आँख में अब तक चराग़ जलते हैं

ये रात ऐसी हवाएँ कहाँ से लाती है

कि ख़्वाब फूलते हैं और ज़ख़्म फलते हैं

रुतों ने अपने क़रीने बदल लिए लेकिन

हमारे तौर वही हैं नहीं बदलते हैं

अब ए'तिबार पे जी चाहता तो है लेकिन

पुराने ख़ौफ़ दिलों से कहाँ निकलते हैं

(792) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Laga Ho Dil To KHayalat Kab Badalte Hain In Hindi By Famous Poet Ashfaq Amir. Laga Ho Dil To KHayalat Kab Badalte Hain is written by Ashfaq Amir. Complete Poem Laga Ho Dil To KHayalat Kab Badalte Hain in Hindi by Ashfaq Amir. Download free Laga Ho Dil To KHayalat Kab Badalte Hain Poem for Youth in PDF. Laga Ho Dil To KHayalat Kab Badalte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Laga Ho Dil To KHayalat Kab Badalte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.