Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_4d24e1aa212fe402c505859940c1a195, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक फ़ित्ना सा उठाया है चला जाएगा - असग़र वेलोरी कविता - Darsaal

एक फ़ित्ना सा उठाया है चला जाएगा

एक फ़ित्ना सा उठाया है चला जाएगा

वक़्त बे-वक़्त जो आया है चला जाएगा

शहर को सारे जलाने के लिए निकला था

अब जो घर मेरा जलाया है चला जाएगा

बैठना है तो घने पेड़ के नीचे बैठो

ये तो दीवार का साया है चला जाएगा

हम को मारेगा कहाँ शीश-महल में रह कर

सिर्फ़ पत्थर ही उठाया है चला जाएगा

वो तो आता है अँधेरे ही में डसने के लिए

अब तो हर सम्त उजाला है चला जाएगा

ख़ुद ही थक जाएगा जब गालियाँ दे कर मुझ को

उस पे इतना तो भरोसा है चला जाएगा

उस ने चुप रह के भी तूफ़ान उठाए कितने

आज कोहराम मचाया है चला जाएगा

सोच के आया था दुनिया में सब अपने होंगे

अपना साया भी पराया है चला जाएगा

ग़म के आने का कोई ग़म नहीं हम को 'असग़र'

अपनी मर्ज़ी ही से आया है चला जाएगा

(724) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Fitna Sa UThaya Hai Chala Jaega In Hindi By Famous Poet Asghar Velori. Ek Fitna Sa UThaya Hai Chala Jaega is written by Asghar Velori. Complete Poem Ek Fitna Sa UThaya Hai Chala Jaega in Hindi by Asghar Velori. Download free Ek Fitna Sa UThaya Hai Chala Jaega Poem for Youth in PDF. Ek Fitna Sa UThaya Hai Chala Jaega is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Fitna Sa UThaya Hai Chala Jaega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.