असग़र वेलोरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असग़र वेलोरी
नाम | असग़र वेलोरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asghar Velori |
ज़िंदगी से समझौता आज हो गया कैसे
उन के हाथों से मिला था पी लिया
तू ने अब तक जिसे नहीं समझा
तिरे महल में हज़ारों चराग़ जलते हैं
शिकार अपनी अना का है आज का इंसाँ
रौशनी जब से मुझे छोड़ गई
पढ़ते थे किताबों में क़यामत का समाँ
मुझ को ग़म का न कभी दर्द का एहसास रहा
लोग अच्छों को भी किस दिल से बुरा कहते हैं
खिलना हर एक फूल का 'असग़र' है मोजज़ा
जितना रोना था रो चुके आदम
दुनिया से ख़त्म हो गया इंसान का वजूद
ऐ चारागरो पास तुम्हारे न मिलेगी
सुनो कुछ दीदा-ए-नम बोलते हैं
कोई छोटा यहाँ कोई बड़ा है
किसी की चाह में ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
कहने आए थे कुछ कहा ही नहीं
हो गई अपनों की ज़ाहिर दुश्मनी अच्छा हुआ
एक फ़ित्ना सा उठाया है चला जाएगा