जिसे कभी सर-ए-मिंबर न कह सका वाइज़
वो बात अहल-ए-जुनूँ ज़ेर-ए-दार कहते हैं
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गुलशन गुलशन शोला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली
ग़ुबार सा है सर-ए-शाख़-सार कहते हैं
इस एक बात से गुलचीं का दिल धड़कता है
गुलशन गुलशन शो'ला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली