जब हम दोनों जुदा हुए थे
जब हम दोनों जुदा हुए थे
उस ने पहनी सरमा की रातों में निकले चाँद की साड़ी
मैं ने पहना
अपनी बन-बासी का चोला
उस ने माँगी धूप
जो बर्फ़ों पर चमकी थी और हँसी के दरिया में बहते हुए
हम तक पहुँची थी
मैं ने माँगी घास में गिरी हुई आवाज़
उस के हाथ में
आठ पहर के ख़्वाब का छोटा बच्चा था
मेरे हाथ में वक़्त ने अपने बीज से बाहर पाँव रखा
उस की आँख में नाव डूबी
मेरी आँख में एक परिंदा डर के दुबका
उस के होंट पे मेरे नाम का साया था
मेरे होंट पे उस के जिस्म की बारिश थी
उस के दिल में गुम-गश्ता तहज़ीबों जैसी ख़ामोशी थी
मेरे दिल में तेज़ हवा की याद में खोया मौसम था
उस के पाँव हैरत की सीढ़ी से नीचे उतर रहे थे
मेरे पाँव दिल की ज़मीं से लिपट रहे थे
जब हम दोनों जुदा हुए थे
आधा बोसा आधा आँसू दिल में रहा
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