ऐ ख़ामोशी
ऐ ख़ामोशी!
मेरे ख़ून में छुप के बैठ
दुल्हन बन के मेरे चेहरे पर शर्मा
आज की शब
इस ख़ून में दरिया रोएँगे
और बच्चे शोर मचाएँगे
ऐ ख़ामोशी!
कफ़न हो जैसे रंगत से महरूम
तुझ में भी कुछ ऐसी बे-लफ़्ज़ी का मौसम फैले
तू भी दम तोड़े मेरी आँखों में
उन साँपों में
जो साँसों में फुंकारते हैं
ऐ ख़ामोशी! तारों से उतर
तारीकी के इम्काँ से उभर
ऐ ख़ामोशी!
(746) Peoples Rate This