Love Poetry of Asghar Mehdi Hosh
नाम | असग़र मेहदी होश |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Asghar Mehdi Hosh |
साग़र नहीं कि झूम के उट्ठे उठा लिया
खो गई जा के नज़र यूँ रुख़-ए-रौशन के क़रीब
जाने किस किस का गला कटता पस-ए-पर्दा-ए-इश्क़
ना-गुज़ीर
हुसैन
प्यासा रहा मैं बाला-क़दी के फ़रेब में
फूल पत्थर की चटानों पे खिलाएँ हम भी
मोहब्बत कर के शर्मिंदा नहीं हूँ
मेरा बचपन ही मुझे याद दिलाने आए
जो सज़ा चाहो मोहब्बत से दो यारो मुझ को
जो इस ज़मीर फ़रोशी के माहेरीन में है
जला जला के दिए पास पास रखते हैं
इस से पहले कि हवा मुझ को उड़ा ले जाए
हमेशा तंग रहा मुझ पे ज़िंदगी का लिबास
चेहरों को बे-नक़ाब समझने लगा था मैं
बे-निशान क़दमों की कहकशाँ पकड़ते हैं
बाहर का माहौल तो हम को अक्सर अच्छा लगता है
बचपन तमाम बूढ़े सवालों में कट गया