Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a6cbb318232b1af72a6b1080a30c9e0b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अनार्किज़्म - असग़र मेहदी होश कविता - Darsaal

अनार्किज़्म

ग़ैर-फ़ितरी तहफ़्फ़ुज़ की मजबूरियाँ

आदमी आज कीड़े-मकोड़े की मानिंद फिर रेंगने लग गया

जिन में जीने की कुछ अहलियत ही नहीं

वो भी ज़िंदा हैं और ज़िंदा रहने के हक़दार लोगों का हक़ खा रहे हैं

बोझ धरती के सीने का बढ़ता चला जा रहा है

उठा दो ये सारे क़वानीन बे-जा ज़मीनों को आज़ाद कर दो

उसूल-ए-अज़ल और क़ानून-ए-फ़ितरत ज़मीं पर अज़ल ही की मानिंद चल जाएगा

ज़िंदा रहने की ताक़त तमन्ना इरादा सई

जिन में होगी वो ज़िंदा रहेंगे

बाक़ी नाकारा मर जाएँगे

बोझ धरती के सीने का टल जाएगा

और फिर साफ़-सुथरी नई ख़ूबसूरत सी दुनिया उभर आएगी

(818) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Anarchizm In Hindi By Famous Poet Asghar Mehdi Hosh. Anarchizm is written by Asghar Mehdi Hosh. Complete Poem Anarchizm in Hindi by Asghar Mehdi Hosh. Download free Anarchizm Poem for Youth in PDF. Anarchizm is a Poem on Inspiration for young students. Share Anarchizm with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.