मोहब्बत कर के शर्मिंदा नहीं हूँ
मोहब्बत कर के शर्मिंदा नहीं हूँ
मैं इस दुनिया का बाशिंदा नहीं हूँ
हिसाब-ए-दिल-बराँ मुझ से न माँगो
मैं इक शाइर हूँ कारिंदा नहीं हूँ
मैं इक आज़ाद-ओ-ख़ुद-रौशन सितारा
किसी सूरज से ताबिंदा नहीं हूँ
तिलिस्म-ए-ग़म से पत्थर हो गया हूँ
मैं ज़िंदा हूँ मगर ज़िंदा नहीं हूँ
ये मेरा अहद मुझ में जी रहा है
मैं बस अपना नुमाइंदा नहीं हूँ
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