Sharab Poetry of Asghar Gondvi
नाम | असग़र गोंडवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asghar Gondvi |
जन्म की तारीख | 1884 |
मौत की तिथि | 1936 |
जन्म स्थान | Gonda |
रिंद जो ज़र्फ़ उठा लें वही साग़र बन जाए
एक ऐसी भी तजल्ली आज मय-ख़ाने में है
आलम से बे-ख़बर भी हूँ आलम में भी हूँ मैं
यूँ न मायूस हो ऐ शोरिश-ए-नाकाम अभी
ये नंग-ए-आशिक़ी है सूद ओ हासिल देखने वाले
ये क्या कहा कि ग़म-ए-इश्क़ नागवार हुआ
वो नग़्मा बुलबुल-ए-रंगीं-नवा इक बार हो जाए
शिकवा न चाहिए कि तक़ाज़ा न चाहिए
रक़्स-ए-मस्ती देखते जोश-ए-तमन्ना देखते
न ये शीशा न ये साग़र न ये पैमाना बने
मौजों का अक्स है ख़त-ए-जाम-ए-शराब में
मजाज़ कैसा कहाँ हक़ीक़त अभी तुझे कुछ ख़बर नहीं है
मय-ए-बे-रंग का सौ रंग से रुस्वा होना
कोई महमिल-नशीं क्यूँ शाद या नाशाद होता है
ख़ुदा जाने कहाँ है 'असग़र'-ए-दीवाना बरसों से
जान-ए-नशात हुस्न की दुनिया कहें जिसे
हुस्न को वुसअतें जो दीं इश्क़ को हौसला दिया
एक ऐसी भी तजल्ली आज मय-ख़ाने में है
असरार-ए-इश्क़ है दिल-ए-मुज़्तर लिए हुए
अक्स किस चीज़ का आईना-ए-हैरत में नहीं
आलाम-ए-रोज़गार को आसाँ बना दिया