'असग़र' ग़ज़ल में चाहिए वो मौज-ए-ज़िंदगी
'असग़र' ग़ज़ल में चाहिए वो मौज-ए-ज़िंदगी
जो हुस्न है बुतों में जो मस्ती शराब में
(1235) Peoples Rate This
'असग़र' ग़ज़ल में चाहिए वो मौज-ए-ज़िंदगी
जो हुस्न है बुतों में जो मस्ती शराब में
(1235) Peoples Rate This