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है दिल-ए-नाकाम-ए-आशिक़ में तुम्हारी याद भी - असग़र गोंडवी कविता - Darsaal

है दिल-ए-नाकाम-ए-आशिक़ में तुम्हारी याद भी

है दिल-ए-नाकाम-ए-आशिक़ में तुम्हारी याद भी

ये भी क्या घर है कि है बर्बाद भी आबाद भी

दिल के मिटने का मुझे कुछ और ऐसा ग़म नहीं

हाँ मगर इतना कि है इस में तुम्हारी याद भी

किस को ये समझाइए नैरंग-ए-कार-ए-आशिक़ी

थम गए अश्क-ए-मुसलसल रुक गई फ़रियाद भी

सीने में दर्द-ए-मोहब्बत राज़ बन कर रह गया

अब वो हालत है कि कर सकते नहीं फ़रियाद भी

फाड़ डालूँगा गरेबाँ फोड़ लूँगा अपना सर

है मिरे आफ़त-कदे में क़ैस भी फ़रहाद भी

कुछ तो 'असग़र' मुझ में है क़ाइम है जिस से ज़िंदगी

जान भी कहते हैं उस को और उन की याद भी

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Hai Dil-e-nakaam-e-ashiq Mein Tumhaari Yaad Bhi In Hindi By Famous Poet Asghar Gondvi. Hai Dil-e-nakaam-e-ashiq Mein Tumhaari Yaad Bhi is written by Asghar Gondvi. Complete Poem Hai Dil-e-nakaam-e-ashiq Mein Tumhaari Yaad Bhi in Hindi by Asghar Gondvi. Download free Hai Dil-e-nakaam-e-ashiq Mein Tumhaari Yaad Bhi Poem for Youth in PDF. Hai Dil-e-nakaam-e-ashiq Mein Tumhaari Yaad Bhi is a Poem on Inspiration for young students. Share Hai Dil-e-nakaam-e-ashiq Mein Tumhaari Yaad Bhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.