हुस्न-ए-बेपर्दा की गर्मी से कलेजा पक्का

हुस्न-ए-बेपर्दा की गर्मी से कलेजा पक्का

तेग़ की आँच से घर में मिरे खाना पक्का

जिंस-ए-दिल ले के न जाऊँ मैं किसी और के पास

आप बैआ'ना अगर दीजिए पक्का पक्का

हर तरह हाथ उठाना है जहाँ से मुश्किल

बैठ रहने को भी घर चाहिए कच्चा पक्का

है वो शाइ'र जो पढ़े बज़्म-ए-सुख़न में अशआ'र

मो'तबर है जो कचेहरी में हो चेहरा पक्का

ख़ाम-ए-तबई' से तुम्हारे है बहुत तंग 'असीर'

कीजिए वस्ल का इक़रार तो पक्का पक्का

(860) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Husn-e-be-parda Ki Garmi Se Kaleja Pakka In Hindi By Famous Poet Aseer Lakhnawi. Husn-e-be-parda Ki Garmi Se Kaleja Pakka is written by Aseer Lakhnawi. Complete Poem Husn-e-be-parda Ki Garmi Se Kaleja Pakka in Hindi by Aseer Lakhnawi. Download free Husn-e-be-parda Ki Garmi Se Kaleja Pakka Poem for Youth in PDF. Husn-e-be-parda Ki Garmi Se Kaleja Pakka is a Poem on Inspiration for young students. Share Husn-e-be-parda Ki Garmi Se Kaleja Pakka with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.