असर सहबाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असर सहबाई
नाम | असर सहबाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Asar Sahbai |
जन्म की तारीख | 1901 |
मौत की तिथि | 1963 |
ये हुस्न-ए-दिल-फ़रेब ये आलम शबाब का
तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए
तेरे शबाब ने किया मुझ को जुनूँ से आश्ना
सारी दुनिया से बे-नियाज़ी है
सज्दे के दाग़ से न हुई आश्ना जबीं
ख़ुदा की देन है जिस को नसीब हो जाए
जिस हुस्न की है चश्म-ए-तमन्ना को जुस्तुजू
जहाँ पे छाया सहाब-ए-मस्ती बरस रही है शराब-ए-मस्ती
इलाही कश्ती-ए-दिल बह रही है किस समुंदर में
आह क्या क्या आरज़ूएँ नज़्र-ए-हिरमाँ हो गईं
रुमूज़-ए-मोहब्बत
ज़ुल्मत-ए-दश्त-ए-अदम में भी अगर जाऊँगा
तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए
तुम्हारी फ़ुर्क़त में मेरी आँखों से ख़ूँ के आँसू टपक रहे हैं
मिरी हर साँस को सब नग़्मा-ए-महफ़िल समझते हैं
लुत्फ़ गुनाह में मिला और न मज़ा सवाब में