Hope Poetry of Asar Lakhnavi
नाम | असर लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asar Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1885 |
ये सोचते ही रहे और बहार ख़त्म हुई
क्या क्या दुआएँ माँगते हैं सब मगर 'असर'
भूलने वाले को शायद याद वादा आ गया
तस्कीन-ए-दिल को अश्क-ए-अलम क्या बहाऊँ मैं
सहरा से चले हैं सू-ए-गुलशन
निगह-ए-शौक़ को यूँ आइना-सामानी दे
नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए
न शरह-ए-शौक़ न तस्कीन जान-ए-ज़ार में है
काहे को ऐसे ढीट थे पहले झूटी क़सम जो खाते तुम
झपकी ज़रा जो आँख जवानी गुज़र गई
हिजाब-ए-रंग-ओ-बू है और मैं हूँ
दिल इश्क़ की मय से छलक रहा है
चुपके से नाम ले के तुम्हारा कभी कभी
बहार है तिरे आरिज़ से लौ लगाए हुए
आप बिक जाए कोई ऐसा ख़रीदार न था
आख़िर-ए-कार यही उज़्र जफ़ा का निकला