बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का
कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते
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तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर
नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए
ज़िंदगी और ज़िंदगी की यादगार
न शरह-ए-शौक़ न तस्कीन जान-ए-ज़ार में है
हाए रे प्यारी प्यारी आँख
आप बिक जाए कोई ऐसा ख़रीदार न था
मुझ को हर फूल सुनाता था फ़साना तेरा
आह से जब दिल में डूबे तीर उभारे जाएँगे
निगह-ए-शौक़ को यूँ आइना-सामानी दे
दिल गया बे-क़रारियाँ न गईं
इश्क़ की गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ से लाऊँ
हिजाब-ए-रंग-ओ-बू है और मैं हूँ