आप का ख़त नहीं मिला मुझ को
दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Gulzar
Anwar Masood
Rahat Indori
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(790) Peoples Rate This
इधर से आज वो गुज़रे तो मुँह फेरे हुए गुज़रे
झपकी ज़रा जो आँख जवानी गुज़र गई
जो सज़ा दीजे है बजा मुझ को
ज़िंदगी और ज़िंदगी की यादगार
हिजाब-ए-रंग-ओ-बू है और मैं हूँ
काहे को ऐसे ढीट थे पहले झूटी क़सम जो खाते तुम
तस्कीन-ए-दिल को अश्क-ए-अलम क्या बहाऊँ मैं
नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए
करम पर भी होता है धोका सितम का
आप बिक जाए कोई ऐसा ख़रीदार न था
चुपके से नाम ले के तुम्हारा कभी कभी
आह किस से कहें कि हम क्या थे