Ghazals of Asar Lakhnavi
नाम | असर लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asar Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1885 |
तस्कीन-ए-दिल को अश्क-ए-अलम क्या बहाऊँ मैं
सहरा से चले हैं सू-ए-गुलशन
निगह-ए-शौक़ को यूँ आइना-सामानी दे
नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए
न शरह-ए-शौक़ न तस्कीन जान-ए-ज़ार में है
मुझ को हर फूल सुनाता था फ़साना तेरा
किस तरह खिलते हैं नग़्मों के चमन समझा था मैं
काहे को ऐसे ढीट थे पहले झूटी क़सम जो खाते तुम
झपकी ज़रा जो आँख जवानी गुज़र गई
इश्क़ की गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ से लाऊँ
हिजाब-ए-रंग-ओ-बू है और मैं हूँ
हाए रे प्यारी प्यारी आँख
दिल इश्क़ की मय से छलक रहा है
दिल गया बे-क़रारियाँ न गईं
चुपके से नाम ले के तुम्हारा कभी कभी
भूले अफ़्साने वफ़ा के याद दिल्वाते हुए
बहार है तिरे आरिज़ से लौ लगाए हुए
अश्क-ए-गुल-रंग निसार-ए-ग़म-ए-जानाना करें
आप बिक जाए कोई ऐसा ख़रीदार न था
आख़िर-ए-कार यही उज़्र जफ़ा का निकला
आह से जब दिल में डूबे तीर उभारे जाएँगे