असर लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असर लखनवी
नाम | असर लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asar Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1885 |
ज़िंदगी और ज़िंदगी की यादगार
ये सोचते ही रहे और बहार ख़त्म हुई
तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर
सना तेरी नहीं मुमकिन ज़बाँ से
क़ासिद पयाम उन का न कुछ देर अभी सुना
फिरते हुए किसी की नज़र देखते रहे
पलकें घनेरी गोपियों की टोह लिए हुए
क्या क्या दुआएँ माँगते हैं सब मगर 'असर'
कुछ देर फ़िक्र आलम-ए-बाला की छोड़ दो
करम पर भी होता है धोका सितम का
जो सज़ा दीजे है बजा मुझ को
जो आप कहें उस में ये पहलू है वो पहलू
इश्क़ से लोग मना करते हैं
इधर से आज वो गुज़रे तो मुँह फेरे हुए गुज़रे
इक बात भला पूछें किस तरह मनाओगे
भूलने वाले को शायद याद वादा आ गया
बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का
आप का ख़त नहीं मिला मुझ को
आज कुछ मेहरबान है सय्याद
आह किस से कहें कि हम क्या थे
तस्कीन-ए-दिल को अश्क-ए-अलम क्या बहाऊँ मैं
सहरा से चले हैं सू-ए-गुलशन
निगह-ए-शौक़ को यूँ आइना-सामानी दे
नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए
न शरह-ए-शौक़ न तस्कीन जान-ए-ज़ार में है
मुझ को हर फूल सुनाता था फ़साना तेरा
किस तरह खिलते हैं नग़्मों के चमन समझा था मैं
काहे को ऐसे ढीट थे पहले झूटी क़सम जो खाते तुम
झपकी ज़रा जो आँख जवानी गुज़र गई
इश्क़ की गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ से लाऊँ