जो लोग डरते हैं रातों को अपने साए से
उन्हीं को दिन के उजालों में डरते देखा है
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Gulzar
Jaun Eliya
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है अजब सी कश्मकश दिल में 'असर'
साया भी साथ छोड़ गया अब तो ऐ 'असर'
कितना मुश्किल है ख़ुद-बख़ुद रोना
रास्ता रोक लिया मेरा किसी बच्चे ने
हम हुए दश्त-ए-नवर्द फिर भी न देखा तुझ को
ज़िंदगी तुझ से ये गिला है मुझे
जुनूँ की ख़ैर हो तुझ को 'असर' मिला सब कुछ
कोई हमदम बना के देखो तुम
उल्फ़त के बदले उन से मिला दर्द-ए-ला-इलाज
उदास हो न तू ऐ दिल किसी के रोने से
उल्फ़त का है मज़ा कि 'असर' ग़म भी साथ हों