परिंद क्यूँ मिरी शाख़ों से ख़ौफ़ खाते हैं
परिंद क्यूँ मिरी शाख़ों से ख़ौफ़ खाते हैं
कि इक दरख़्त हूँ और साया-दार मैं भी हूँ
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कि इक दरख़्त हूँ और साया-दार मैं भी हूँ
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