पोशीदा क्यूँ है तूर पे जल्वा दिखा के देख

पोशीदा क्यूँ है तूर पे जल्वा दिखा के देख

ऐ दोस्त मेरी ताब-ए-नज़र आज़मा के देख

फूलों की ताज़गी ही नहीं देखने की चीज़

काँटों की सम्त भी तो निगाहें उठा के देख

लेता नहीं किसी का पस-ए-मर्ग कोई नाम

दुनिया को देखना है तो दुनिया से जा के देख

दिल में हमारे दर्द ज़माने का है निहाँ

पैवस्त दिल में सैकड़ों पैकाँ जफ़ा के देख

जो बादा-ख़्वार-ए-ग़म हैं उन्हें भी कभी कभी

साक़ी शराब-ए-हुस्न के साग़र पिला के देख

बन जाएगा कभी न कभी दर्द ही दवा

'असअद' के दिल में दर्द की शिद्दत बढ़ा के देख

(847) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Poshida Kyun Hai Tur Pe Jalwa Dikha Ke Dekh In Hindi By Famous Poet Asad Badayuni. Poshida Kyun Hai Tur Pe Jalwa Dikha Ke Dekh is written by Asad Badayuni. Complete Poem Poshida Kyun Hai Tur Pe Jalwa Dikha Ke Dekh in Hindi by Asad Badayuni. Download free Poshida Kyun Hai Tur Pe Jalwa Dikha Ke Dekh Poem for Youth in PDF. Poshida Kyun Hai Tur Pe Jalwa Dikha Ke Dekh is a Poem on Inspiration for young students. Share Poshida Kyun Hai Tur Pe Jalwa Dikha Ke Dekh with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.