Love Poetry of Arzoo Lakhnavi
नाम | आरज़ू लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Arzoo Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1873 |
मौत की तिथि | 1951 |
जन्म स्थान | Karachi |
शौक़ चढ़ती धूप जाता वक़्त घटती छाँव है
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह
नज़र बचा के जो आँसू किए थे मैं ने पाक
नहीं वो अगली सी रौनक़ दयार-ए-हस्ती की
मोहब्बत वहीं तक है सच्ची मोहब्बत
मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है
मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने
लालच भरी मोहब्बत नज़रों से गिर न जाए
ख़ुशबू कहीं छुपी है मोहब्बत के फूल की
जो कान लगा कर सुनते हैं क्या जानें रुमूज़ मोहब्बत के
जो दिल रखते हैं सीने में वो काफ़िर हो नहीं सकते
जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे
हुस्न ओ इश्क़ की लाग में अक्सर छेड़ उधर से होती है
हम को इतना भी रिहाई की ख़ुशी में नहीं होश
हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर
हर इक शाम कहती है फिर सुब्ह होगी
है मोहब्बत ऐसी बंधी गिरह जो न एक हाथ से खुल सके
फ़ज़ा महदूद कब है ऐ दिल-ए-वहशी फ़लक कैसा
दो तुंद हवाओं पर बुनियाद है तूफ़ाँ की
चटकी जो कली कोयल कूकी उल्फ़त की कहानी ख़त्म हुई
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
अल्लाह अल्लाह हुस्न की ये पर्दा-दारी देखिए
यूँ दूर दूर दिल से हो हो के दिल-नशीं भी
ये दास्तान-ए-दिल है क्या हो अदा ज़बाँ से
यही इक निबाह की शक्ल है वो जफ़ा करें मैं वफ़ा करूँ
वो सर-ए-बाम कब नहीं आता
वो क्या लिखता जिसे इंकार करते भी हिजाब आया
वो बन कर बे-ज़बाँ लेने को बैठे हैं ज़बाँ मुझ से
वअ'दा सच्चा है कि झूटा मुझे मालूम न था
उस की तो एक दिल-लगी अपना बना के छोड़ दे