वो क़िस्सा-ए-दर्द-आगीं चुप कर दिया था जिस ने
वो क़िस्सा-ए-दर्द-आगीं चुप कर दिया था जिस ने
तुम से न सुना जाता मुझ से न बयाँ होता
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तुम से न सुना जाता मुझ से न बयाँ होता
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