वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से
वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से
कोई गर्दिश ऐसी भी ऐ फ़लक जो बुला दे सुब्ह को शाम से
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वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से
कोई गर्दिश ऐसी भी ऐ फ़लक जो बुला दे सुब्ह को शाम से
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