किस काम की ऐसी सच्चाई जो तोड़ दे उम्मीदें दिल की
थोड़ी सी तसल्ली हो तो गई माना कि वो बोल के झूट गया
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Wasi Shah
Rahat Indori
Javed Akhtar
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(843) Peoples Rate This
है मोहब्बत ऐसी बंधी गिरह जो न एक हाथ से खुल सके
दिल मुकद्दर है आईना-रू का
कुछ मैं ने कही है न अभी उस ने सुनी है
वो सर-ए-बाम कब नहीं आता
वो बन कर बे-ज़बाँ लेने को बैठे हैं ज़बाँ मुझ से
जिन रातों में नींद उड़ जाती है क्या क़हर की रातें होती हैं
वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगे
वो क्या लिखता जिसे इंकार करते भी हिजाब आया
तड़पते दिल को न ले इज़्तिराब लेता जा
हर टूटे हुए दिल की ढारस है तिरा वअ'दा
वअ'दा सच्चा है कि झूटा मुझे मालूम न था