जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे
जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे
माल भी तो उतने का नहीं अब जितना कुछ महसूल पड़ा
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जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे
माल भी तो उतने का नहीं अब जितना कुछ महसूल पड़ा
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