बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
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Javed Akhtar
Jaun Eliya
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Wasi Shah
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मुझ को दिल क़िस्मत ने उस को हुस्न-ए-ग़ारत-गर दिया
ख़ाली बैठे क्यूँ दिन काटें आओ रे जी इक काम करें
जवाब देने के बदले वो शक्ल देखते हैं
भोली बातों पे तेरी दिल को यक़ीं
करम उन का ख़ुद है बढ़ कर मिरी हद्द-ए-इल्तिजा से
हाथ से किस ने साग़र पटका मौसम की बे-कैफ़ी पर
'आरज़ू' जाम लो झिजक कैसी
आँख से दिल में आने वाला
कर पहले दिल पे क़ाबू जामे की फिर ख़बर ले
जिन रातों में नींद उड़ जाती है क्या क़हर की रातें होती हैं
ये गुल खिल रहा है वो मुरझा रहा है
मिसाल-ए-शम्अ अपनी आग में क्या आप जल जाऊँ