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जो दिल साथ छुटने से घबरा रहा है - आरज़ू लखनवी कविता - Darsaal

जो दिल साथ छुटने से घबरा रहा है

जो दिल साथ छुटने से घबरा रहा है

वो छुटता नहीं और पास आ रहा है

हमेशा को फूले फलेगा ये गुलशन

अभी देखने को तो मुरझा रहा है

हर इक शाम कहती है फिर सुब्ह होगी

अँधेरे में सूरज नज़र आ रहा है

बढ़ी जा रही है अगर धूप आगे

तो साया भी दौड़ा चला जा रहा है

सितारे बनेंगे चमकदार आँसू

ये रोना हँसी की ख़बर ला रहा है

अगर दुख नहीं है नहीं फिर है सुख भी

ज़माना ये पहचान बतला रहा है

थकन 'आरज़ू' कहती है रास्ते की

कि आराम भी साथ साथ आ रहा है

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