Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1d79cc00390ecf6d0e62dea1f28e11bc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
देखें महशर में उन से क्या ठहरे - आरज़ू लखनवी कविता - Darsaal

देखें महशर में उन से क्या ठहरे

देखें महशर में उन से क्या ठहरे

थे वही बुत वही ख़ुदा ठहरे

ठहरे उस दर पे यूँ तो क्या ठहरे

बन के ज़ंजीर-ए-बे-सदा ठहरे

साँस ठहरे तो दम ज़रा ठहरे

तेज़ आँधी में शम्अ' क्या ठहरे

ज़िंदगानी है इक नफ़स का शुमार

बे-हवा ये चराग़ क्या ठहरे

जिस को तुम ला-दवा बताते थे

तुम्हीं उस दर्द की दवा ठहरे

इश्क़ का जुर्म सहल काम नहीं

कि हर इक लाएक़-ए-सज़ा ठहरे

बीम-ओ-उम्मीद की कशाकश में

इक दो-राहे पे जैसे आ ठहरे

रोती आँखें झलक न देख सकीं

बहते ज़ख़्मों पे क्या दवा ठहरे

'आरज़ू' वो हमें नसीब कहाँ

कान तक जा के जो सदा ठहरे

(749) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dekhen Mahshar Mein Un Se Kya Thahre In Hindi By Famous Poet Arzoo Lakhnavi. Dekhen Mahshar Mein Un Se Kya Thahre is written by Arzoo Lakhnavi. Complete Poem Dekhen Mahshar Mein Un Se Kya Thahre in Hindi by Arzoo Lakhnavi. Download free Dekhen Mahshar Mein Un Se Kya Thahre Poem for Youth in PDF. Dekhen Mahshar Mein Un Se Kya Thahre is a Poem on Inspiration for young students. Share Dekhen Mahshar Mein Un Se Kya Thahre with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.