आरज़ू लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आरज़ू लखनवी
नाम | आरज़ू लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Arzoo Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1873 |
मौत की तिथि | 1951 |
जन्म स्थान | Karachi |
तू ने ऐ इंक़लाब क्या ख़ल्क़ किया
तू कहता है ख़ालिक़-ए-शर-ओ-ख़ैर नहीं
कानों की ग़रज़ कलाम बतलाता है
इस पार से यूँ डूब के उस पार गए
ये गुल खिल रहा है वो मुरझा रहा है
वो क़िस्सा-ए-दर्द-आगीं चुप कर दिया था जिस ने
वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से
वो हाथ मार पलट कर जो कर दे काम तमाम
वहशत हम अपनी ब'अद-ए-फ़ना छोड़ जाएँ
वफ़ा तुम से करेंगे दुख सहेंगे नाज़ उठाएँगे
वाए ग़ुर्बत कि हुए जिस के लिए ख़ाना-ख़राब
तेरे तो ढंग हैं यही अपना बना के छोड़ दे
सीने में ज़ब्त-ए-ग़म से छाला उभर रहा है
शौक़ चढ़ती धूप जाता वक़्त घटती छाँव है
राहबर रहज़न न बन जाए कहीं इस सोच में
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह
फिर चाहे तो न आना ओ आन बान वाले
फैल गई बालों में सपेदी चौंक ज़रा करवट तो बदल
निगाहें इस क़दर क़ातिल कि उफ़ उफ़
नज़र बचा के जो आँसू किए थे मैं ने पाक
नाम मंसूर का क़िस्मत ने उछाला वर्ना
नाले हैं दिलसिताँ तो फिर आहें हैं बर्छियाँ तो फिर
नहीं वो अगली सी रौनक़ दयार-ए-हस्ती की
मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र
मोहब्बत वहीं तक है सच्ची मोहब्बत
मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन है
मिसाल-ए-शम्अ अपनी आग में क्या आप जल जाऊँ
मासूम नज़र का भोला-पन ललचा के लुभाना क्या जाने
मख़रब-ए-कार हुई जोश में ख़ुद उजलत-ए-कार
लालच भरी मोहब्बत नज़रों से गिर न जाए