अर्शी भोपाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अर्शी भोपाली
नाम | अर्शी भोपाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Arshi Bhopali |
जन्म की तारीख | 1921 |
मौत की तिथि | 1977 |
जन्म स्थान | Bhopal |
निगाह-ए-नाज़ की मासूमियत अरे तौबा
मौक़ूफ़ फ़स्ल-ए-गुल पे नहीं रौनक़-ए-चमन
हम तो आवारा-ए-सहरा हैं हमें क्या मतलब
हमें तो अपनी तबाही की दाद भी न मिली
बहुत अज़ीज़ न क्यूँ हो कि दर्द है तेरा
अजीब चीज़ है ये शौक़-ए-आरज़ू-मंदी
यक़ीन-ए-सुब्ह-ए-चमन है कितना शुऊर-ए-अब्र-ए-बहार क्या है
उफ़ुक़ के ख़ूनीं धुँदलकों का सुब्ह नाम नहीं
तमाम हुस्न-ए-जहाँ का जवाब हो के रहा
शौक़-ए-आवारा दश्त-ओ-दर से है
रक़्स-ए-आशुफ़्ता-सरी की कोई तदबीर सही
निगाह-ए-शौक़ से कब तक मुक़ाबला करते
निगाह तेज़ शुऊ'र-ए-बुलंद रखते हैं
नशीली छाँव में बीते हुए ज़मानों को
न सहरा है न अब दीवार-ओ-दर है
मता-ए-शौक़ तो है दर्द-ए-रोज़गार तो है
ख़ुलूस-ए-अल्फ़ाज़ काम आया निगाह-ए-अहल-ए-फ़ितन से पहले
कारवाँ तीरा-शब में चलते हैं
फ़लसफ़ी किस लिए इल्ज़ाम-ए-फ़ना देता है
दर्द के साँचे में ढल कर रह गई
आग़ाज़-ए-आशिक़ी का अल्लाह रे ज़माना