क़ल्ब-ओ-नज़र का सुकूँ और कहाँ दोस्तो
क़ल्ब-ओ-नज़र का सुकूँ और कहाँ दोस्तो
कू-ए-बुताँ दोस्तो कू-ए-बुताँ दोस्तो
मेरा ही दिल है कि मैं फिरता हूँ यूँ ख़ंदा-ज़न
कम नहीं परदेस में दिल का ज़ियाँ दोस्तो
जिन में ख़ुलूस-ए-वफ़ा और न शुऊ'र-ए-सितम
मुझ को बिठाया है ये ला के कहाँ दोस्तो
चार घड़ी रात है आओ कि हँस बोल लें
जाने सहर तक हो फिर कौन कहाँ दोस्तो
रब्त-ए-मरासिम के बा'द तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ ग़लत
आग बुझाने से भी होगा धुआँ दोस्तो
लाख छुपो साया-ए-गेसू-ए-शब-रंग में
मिल नहीं सकती मगर ग़म से अमाँ दोस्तो
शाइर-ए-'अरशद' हूँ मैं शाएर-ए-फ़ितरत हूँ मैं
मिट नहीं सकता मिरा नाम-ओ-निशाँ दोस्तो
(793) Peoples Rate This