Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8c441b4f2ffc532321516060c29dd143, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तिरे ख़याल से फिर आँख मेरी पुर-नम है - अरशद लतीफ़ कविता - Darsaal

तिरे ख़याल से फिर आँख मेरी पुर-नम है

तिरे ख़याल से फिर आँख मेरी पुर-नम है

कि ग़म ज़ियादा है और हौसला मिरा कम है

बक़ा के वास्ते सदियों से जंग जारी है

फ़ना के शोर-शराबे से नाक में दम है

नहीं तो कब का मुकम्मल मैं हो चुका होता

जिसे मैं अपना समझता हूँ उस में कुछ कम है

अजीब दौर है ये दौर मैरी मुश्किल का

सवाल में है न कोई जवाब में दम है

मैं जिस को ढूँड रहा हूँ कई ज़मानों से

मुझे हो इल्म कि वो मेरी ज़ात में ज़म है

नमाज़ पढ़ता हूँ और उस को याद करता हूँ

मिरे ख़याल में इक पाँचवाँ भी मौसम है

(669) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tere KHayal Se Phir Aankh Meri Pur-nam Hai In Hindi By Famous Poet Arshad Lateef. Tere KHayal Se Phir Aankh Meri Pur-nam Hai is written by Arshad Lateef. Complete Poem Tere KHayal Se Phir Aankh Meri Pur-nam Hai in Hindi by Arshad Lateef. Download free Tere KHayal Se Phir Aankh Meri Pur-nam Hai Poem for Youth in PDF. Tere KHayal Se Phir Aankh Meri Pur-nam Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Tere KHayal Se Phir Aankh Meri Pur-nam Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.